इनकम टैक्स की चोरी गैरकानूनी है, लेकिन इससे बचना नहीं। यहां बता रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिनसे आप कानूनी तौर पर अपने इन्वेस्टमेंट पर हुई आमदनी पर टैक्स चुकाने से बच सकते हैं :
1. नॉन-वर्किंग वाइफ के जरिए इन्वेस्टमेंट
अगर आप अपनी वाइफ को कुछ रकम गिफ्ट करते हैं, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि, अगर इस पैसे को इन्वेस्ट किया जाता है, तो यह आपकी इनकम में जुड़ जाएगा। सेक्शन 60 के तहत यह प्रविजन टैक्स चोरी रोकने के लिए है। अगर आपकी इनकम पर टैक्स लगता है, तो क्या वाइफ के नाम पर इन्वेस्टमेंट से फायदा होगा? हां। यह सिर्फ पहली बार आपकी इनकम में जुड़ती है।
अगर इसे दोबारा इन्वेस्ट किया जाता है और उससे प्रॉफिट होता है, तो वह आपकी वाइफ की मानी जाएगी, आपकी नहीं। इस रूल से फायदा उठाने के लिए अपनी वाइफ को रकम गिफ्ट करें और फिर उसे किसी टैक्स-फ्री इंस्ट्रूमेंट में लगाएं। इससे होने वाली आमदनी आपकी इनकम के साथ जोड़ी जाएगी, लेकिन इसके टैक्स-फ्री होने से आपकी टैक्स लायबिलिटी नहीं बढ़ेगी। आपकी वाइफ रकम को दोबारा इन्वेस्ट कर सकती हैं और इस बार होने वाला प्रॉफिट आपकी इनकम में नहीं जुड़ेगा।
2. नाबालिग के लिए एग्जेम्पशन
अगर कोई पैरंट अपने नाबालिग बच्चे के नाम पर इन्वेस्टमेंट करता है तो इनकम पैरंट के साथ जोड़ी जाती है। ऐसे इन्वेस्टमेंट पर हर साल प्रति बच्चा 1,500 रुपये की मामूली एग्जेम्पशन मिलती है। आप इसे अधिकतम दो बच्चों के लिए ले सकते हैं।
3. बालिग बच्चों की मदद
अगर आपका बच्चा बालिग है, तो आप उसके नाम पर इन्वेस्टमेंट कर अच्छी रकम बचा सकते हैं। 18 साल के बाद व्यक्ति को अडल्ट माना जाता है और टैक्स के लिए उसकी व्यक्तिगत देनदारी बनती है। इसका मतलब है कि उसकी आमदनी पैरंट की इनकम के साथ नहीं जोड़ी जाएगी और उसे किसी दूसरे अडल्ट टैक्सपेयर की तरह ही एग्जेम्पशन और डिडक्शन का फायदा मिलेगा। 18 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को रकम गिफ्ट करना और इसके बाद टैक्स फ्री इनकम के लिए इसे इन्वेस्ट करना पूरी तरह कानूनी है।
4. पैरंट्स की मदद
आपके पैरंट्स भी टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकते हैं। अगर पैरंट्स में से किसी एक या दोनों की ज्यादा आमदनी नहीं है और आप 30 फीसदी के ऊपरी टैक्स स्लैब में आते हैं, तो आप उनके नाम पर इन्वेस्टमेंट कर टैक्स-फ्री इनकम कमा सकते हैं। हर अडल्ट को एक साल में ढाई लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री होती है। सीनियर सिटिजंस (60 साल से ऊपर) के लिए यह लिमिट तीन लाख रुपये सालाना है। पैरंट्स के मामले में आमदनी टैक्सपेयर की इनकम के साथ नहीं जोड़ी जाती।
5. यूलिप को रिवाइव करें
कई इन्वेस्टर्स के पास यूलिप प्लान मौजूद हैं और कई लोगों ने इसका प्रीमियम चुकाना बंद कर दिया है। अगर आप ऐसे लोगों में शामिल हैं तो आप अपने यूलिप का इस्तेमाल टैक्स-फ्री इनकम कमाने के लिए कर सकते हैं। सभी बकाया प्रीमियम एक बार में चुका दें। हालांकि, इसके लिए पॉलिसी प्रीमियम न चुकाने की वजह से लैप्स नहीं होनी चाहिए। प्रीमियम चुकाते समय उन पर लगने वाले चार्जेज पर भी ध्यान दें।
6. एचयूएफ बनाएं
आप हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) बनाकर एग्जेम्पशन और सेविंग लिमिट डबल कर सकते हैं। इसे किसी अन्य इंडिविजुअल टैक्सपेयर की तरह ही एग्जेम्पशन और डिडक्शन मिलती हैं। इसका मतलब है कि कर्ता को 2 लाख रुपये सालाना की अतिरिक्त टैक्स एग्जेम्पशन, सेक्शन 80सी और 80डी के तहत अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन और कम टैक्स स्लैब का फायदा मिलता है। यह ऑप्शन केवल हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध पुरुषों को ही मिलता है और वह शादीशुदा भी होना चाहिए।
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